HPSSC: हमीरपुर के एक मुख्यमंत्री ने खोला संस्थान, दूसरे ने करवा दिया बंद, अब काटने पड़ेंगे शिमला के चक्कर
हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर से संबंध रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने 24 वर्ष पहले अपने कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड, जिसका नाम बाद में बदलकर कर्मचारी चयन आयोग किया गया की स्थापना की थी। इसका बड़ा लाभ निचले हिमाचल के बेरोजगार युवाओं को मिल रहा था। पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद अब हमीरपुर जिला से ही संबंध रखने वाले मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस आयोग को भंग कर दिया है। इस कदम से निचले हिमाचल के लाखों युवाओं को अब फिर से छंटनी परीक्षाओं के लिए राजधानी शिमला के चक्कर काटने पड़ेंगे। साथ ही चयन आयोग में सेवारत कर्मचारियों को भी गृह जिला से बाहर जाना पड़ सकता है। वहीं, मंगलवार को आदेश के बाद हमीरपुर स्थित चयन आयोग के कार्यालय में सन्नाटा पसर गया।
आयोग के हमीरपुर दफ्तर में 60 कर्मचारी और अधिकारी काम करते हैं। आयोग में चेयरमैन के अलावा सदस्य भी हैं, जिनकी नियुक्तियां पूर्व की भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुई हैं। उल्लेखनीय है कि 10 अक्तूबर 1998 को प्रदेश की तत्कालीन धूमल सरकार ने हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड नाम से इसकी स्थापना की थी। वर्ष 2016 में इसका नाम बदलकर हिमाचल कर्मचारी चयन आयोग कर दिया गया। शुरुआत में यहां एक चेयरमैन के अलावा सदस्य के दो पद थे। वर्ष 2012 में आयोग के सदस्यों की संख्या दो से बढ़ाकर 4 कर दी गई।
चिटों पर भर्तियां करने के मामले में भी सुर्खियों में रहा आयोगv men
वर्ष 2003-04 में भी तत्कालीन वीरभद्र सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इस संस्थान में विजिलेंस का छापा पड़ा था। उस समय चिटों पर भर्तियां करने का मामला खासा सुर्खियों में रहा। इस मामले में तत्कालीन चेयरमैन एसएम कटवाल समेत कई लोगों को न्यायालय से सजा भी हुई। अब फिर से प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर यह संस्थान खासी चर्चा में है। विजिलेंस ने जेओए आईटी पेपर लीक मामले में आयोग की वरिष्ठ सहायक उमा आजाद समेत आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज ki कर गत सोमवार को ही हमीरपुर न्यायालय में चालान पेश किया है।