सीमेंट फैक्टरीयों के विवाद को सुलझाने में मुख्यमंत्री अपनी प्रथम परीक्षा में रहे सफल -- राजेश धर्माणी
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सीमेंट फैक्टरीयों के विवाद को सुलझाने में मुख्यमंत्री अपनी प्रथम परीक्षा में रहे सफल -- राजेश धर्माणी

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सीमेंट फैक्टरीयों के  विवाद को सुलझाने में मुख्यमंत्री अपनी प्रथम परीक्षा में रहे सफल -- राजेश धर्माणी


घुमारवीं 

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं घुमारवीं क्षेत्र से विधायक राजेश धर्माणी ने कहा है कि विरोध पक्ष द्वारा लाख कोशिश करने के बावजूद भी हिमाचल प्रदेश की दोनों सीमेंट फैक्टरियों के विवाद को सुलझाने में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु अपनी प्रथम परीक्षा में सफल रहे हैं जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।

 पत्रकारों से बातचीत करते हुए राजेश धर्माणी ने कहा कि वास्तव में अपनी हार की खीझ में केंद्र में बैठे भाजपा के बड़े दृबड़े दिग्गज नेताओं ने हिमाचल की नई बनी कांग्रेस सरकार को मानसिक तनाव देने और आर्थिक संकट में डालने तथा जयराम ठाकुर की भाजपा सरकार को सत्ता में आने से रोकने के लिए लोगों को दंडित करने के प्रयास में अपने चहेते अदानी के कंधे पर बंदूक रख कर दोनों सीमेंट फेक्टरियों में तालाबंदी करवाई थी। किन्तु इस सारे अभियान में जहां ट्रक आपरेटरों व दैनिक भोगियों ने करोड़ों रुपए का नुकसान उठाया है वहीं प्रदेश सरकार को इन फेक्टरियों से मिलने वाली टेक्स राशि के रूप में 250 करोड़ रुपए की चपत लगी है। 

राजेश धर्माणी ने कहा है कि निश्चित रूप से 69 दिनों की तालाबंदी से अदानी समूह को भी कोई कम नुकसान नहीं हुआ है । किन्तु उनके पीछे तो स्टेट बैंक आफ इंडिया और जीवन बीमा जैसी कंपनियाँ मोदी के एक इशारे पर हजारों करोड़ रुपए ऋण देने वाली बड़ी. बड़ी एजेंसियां बैठी हैं। किन्तु हिमाचल के ट्रक आपरेटरों के बैंकों का ब्याज दिन रात भारी चिंता बन कर उनकी आर्थिक कमर तोड़ रहा है ।

राजेश धर्माणी ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि हिमाचल सरकार को सबक सिखाने के लिए की गई यह तालाबंदी  उल्टे अदानी समूह को ही सबक सिखा गई है कि यह गुजरात नहीं बल्कि हिमाचल है । उन्होने कहा कि हिमाचल में  मोदी और अमित शाह की नहीं बल्कि कांग्रेस हाईकमान और सुखविंदर सिंह सुक्खु की चलती है। इसलिए यदि हिमाचल में फेक्टरियाँ चलानी है तो सरकार व ट्रक आपरेटरों से सहयोग व मातृभाव बना कर ही संभव हो सकता है। 

धर्माणी ने ट्रक आपरेटरों को बधाई देते हुए कहा कि भारी कठिनाइयों के बावजूद एकता व संगठन शक्ति बनाए रख कर उन्होने अपनी मांगें मनवाने में सफलता पाई है जिसके लिए वे सभी बधाई के पात्र हैं।
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