लढ़यानी में चल रहे रामचरितमानस भागवत कथा में भरत मिलाप को कथा के माध्यम से सुनाया
अजय शर्मा भराड़ी----////
घुमारवीं उपमंडल की उपतहसील भराड़ी के गाँव लढ़यानी में विधा देवी व संजीव के घर चल रहे रामचरितमानस भागवत कथा में पंडित सुरजीत दुर्वासा ने भरत मिलाप को कथा के माध्यम से सुनाया ,उन्होंने कहा कि राम वनवास के दौरान पिता राजा दशरथ की मृत्यु होने के बाद अयोध्या का राज सिहांसन खाली था और भरत को राजा बनाने को कहा तो उन्होंने कहा कि इसका अधिकार केवल राजा राम का है
अतः उनको वन में मिलने सेना के साथ गए और जब चित्रकूट पहुंचे तो एक भावुक पल में राम सीता व लक्ष्मण से मिले और अयोध्या चलने की बात कही तो उन्होंने मर्यादा को निभाते हुए पिता के वचन का पालन करना अपना फर्ज बताया और भरत को वापिस लौटने की बात बोली ,और भरत प्रभु राम की चरण पादुका को लेकर वन से वापिस अयोध्या महल गए।उसके बाद सुपर्णखा द्वारा किस प्रकार वन में दोनों राजकुमारों को देखकर उनसे विवाह करने की बात मन मे आने पर राक्षसी रूप से बदलकर एक सुंदर औरत का रूप धारण कर उनसे विवाह की बात कही
,परतुं राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम थे भगवान विष्णु के अवतार थे तो उन्होंने उसके असली रूप पहचान लिया परतुं सूर्पनखा उनको लुभाने के लिए बहुत मीठी बाते की पर वो लुभा नही पाई और उनकी ना होने से अपने असली रूप में आई और जैसे ही हमला करने को राम व सीता की ओर हमला करने दौड़ी तो लक्ष्मण ने कैसे उसके नाक और कान काटे और किस प्रकार उसने अपने भाई रावण को एक विद्वान से राक्षस प्रवृति का बनाया और कैसे सीता हरण व लंका युद्ध का घटनाक्रम बना यह सारा वृतांत सुनाया।इस कथा में पंडित किरण, दीपक,बलदेव,राजेश,जयनन्द, सत्या,रेखा,अंबिका, भगीरथ,यशपाल,हंसराज,कश्मीरी लाल,रत्नेश,अजय,अनिल,देवराज सहित काफ़ी सँख्या में लोग उपस्थित रहे।