बाबा कल्याण दास जी(काला बाबा)
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बाबा कल्याण दास जी(काला बाबा)

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बाबा कल्याण दास जी(काला बाबा)

भारत देवी-देवताओं की धरती है यह बात सभी जानते हैं कि इस पावन धरती पर ऐसे महापुरुषों ने भी जन्म लिया है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है आज मैं एक ऐसे महापुरुष के बारे में बात करने जा रही हूं जो हजारों वर्षों तक लोगों के घरों में पूजे जाएंगे और उनको बिलासपुर वासी आज भी पूजते हैं उनके चमत्कारों की चर्चा विदेशों तक भी है बिलासपुर जिला के सोलग नामक गांव में एक शांत स्थान पर कुटिया में रह कर पीड़ित लोगों की पीड़ा दूर करने वाले बाबा कल्याण दास जी को काला बाबा के नाम से भी जाना जाता है ।

यह बाबा अपनी देह त्याग चुके हैं लेकिन आज भी जब सच्चे दिल से कोई भी पीड़ित व्यक्ति या भगत याद करता है तो यह आज भी उन पीड़ित व्यक्ति की पीड़ा का निवारण करने और भक्तों की समस्याओं को दूर करने में किसी न किसी रूप में पहुंच ही जाते हैं काला बाबा जी के किस्से किसी से भी छुपे नहीं है मैंने कई बार देखा कि काला बाबा जो कभी पैसे को हाथ नहीं लगाते और उनके बदन पर एक चद्दर और झोली हुआ करती थी आज भी वह चद्दर आज झोली उनकी कुटिया में मौजूद है जब भी कोई पीड़ित व्यक्ति या किसी रोग से ग्रसित रोगी व्यक्ति अपना रोग का निदान करने के लिए उनके पास आते थे तो काला बाबा कभी भी उक्त महिला या पुरुष को हाथ नहीं लगाते थे वह अपने पैरों द्वारा ही उनके रोगों का निवारण करते थे ।


उस समय जब बाबाजी को कोई दक्षिणा देना चाहता था तो वह बाबा जी की झोली में ही डाली जाती थी काला बाबाजी की सही उम्र का आज तक किसी को भी कोई अंदाजा नहीं है लेकिन बुजुर्ग बताते है कि जिस किसी ने काला बाबा जी को देखा वह एक ही उम्र के पायदान पर देखे गए हैं और वह यह भी बताते हैं कि काला बाबा जी की उम्र 300 वर्ष पार कर चुकी थी और काला बाबा जी के आश्रम में जब भी भंडारा होता था तो हजारों लोग भंडरा ग्रहण करते थे लेकिन कभी भी भंडारा कम नहीं पड़ता था खुद काला बाबाजी तो सिर्फ दूध और फल ही ग्रहण करते थे उन्होंने कभी भी अन्न को ग्रहण नही किया काला बाबा जी की जिस स्थान पर कुटिया है वहां पर पानी की बहुत किल्लत हुआ करती थी तो बाबा जी ने अपना चिंमटा दे मारा था तभी से पानी की बौछार आ गई थी आज भी वहां पर लगातार पानी निकलता रहता है और वहां पर एक बावड़ी बना दी गई है और उस पानी से समूचे क्षेत्र के लोगों की प्यास बुझ रही है कुछ बुजुर्ग बताते हैं कि बाबा जी एक बार चमलोग से बिलासपुर पैदल जा रहे थे तो उस समय बसे भी कम ही हुआ करती थी और जिसमें बाबाजी पैदल जा रहे थे तो उस समय एक बस को उन्होंने हाथ दिया बस चालक ने बस को नहीं रोका तो कुछ देर बाद अगले मोड पर फिर बाबा जी बस के आगे पहुंच गए फिर उन्होंने बस को हाथ दिया परंतु बस चालक ने फिर भी बस नहीं रोकी जब बस चालक बस को लेकर बिलासपुर पहुंचा तो उन्होंने देखा कि बाबाजी पहले से ही बिलासपुर पहुंच चुके थे बस चालक बस को रोककर तुरंत बाबाजी के चरणों में गिर पड़ा । 

वर्तमान समय में बाबा जी ने बिलासपुर वासियों के लिए शक्तिपीठ हरिद्वार में एक सराय का निर्माण किया है जिसकी सदस्यता एक लाख रुपए दे कर ली जा सकती है बिलासपुर वाले काला बाबा के नाम से यह सराय विख्यात है जिसमें श्रद्धालु रात को सराय में रुकते हैं और अपने यथाशक्ति के अनुसार सराय के लिए कुछ दान दक्षिणा भी देते हैं उसी से सराय का कार्य चलता है इसकी देखभाल के लिए कमेटी बनाई गई है ताकि सराय का काम सुचारु रुप से चल सके .।
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