खाने को रोटी न जेब में पैसा: हिमाचल के विद्यार्थियों ने 6 किमी पैदल चलकर पकड़ी ट्रेन
शिमला: रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच भारतीय छात्रों के लिए जान बचाना मुश्किल हो गया है। वहां फंसे छात्रों के पास अब न पैसा है और ना ही खाने के लिए भोजन।
WhatsApp से परिजन कर रहे बात:..
हिमाचल प्रदेश के भी कुछ छात्र अभी भी यूक्रेन से निकलने की जद्दोजहद में लगे हैं। शिमला की छात्रा अनुष्का कुठियाला, अदिति और मंडी जिला के करसोग के छात्र शिवांश सहित कई छात्र-छात्राएं वहां फंसे हुए हैं।
इन छात्रों ने परिजन ने बताया कि व्हाट्सएप मैसेज के जरिए बच्चों से बात हुई है। वे काफी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। जब तक बच्चे सकुशल वतन लौट नहीं आते हैं, तब तक उनकी चिंता बनी रहेगी।
मेट्रो स्टेशन में छिपे थे:
परिजनों ने बताया कि मदद के इंतजार में 24 फरवरी से बच्चे अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन में छिपे हुए थे। इंतजार से थक-हारकर इन्होंने खुद ही हिम्मत जुटाकर बाहर निकलने की योजना बनाई।
मंगलवार सुबह ये सभी अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन से निकले और छह किलोमीटर पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर के समीप लबीब शहर के लिए ट्रेन पकड़ी। करीब 13 घंटे बाद सुबह छह बजे लबीब पहुंचेंगे।
दूतावास से नहीं मिल रही मदद:
लबीब पहुंचने के बाद वहां से उन्हें देखना होगा कि भारत आने के लिए जहाज कहां से और कैसे मिलेगा। परिजनों का कहना है कि भारतीय दूतावास से भी मदद नहीं मिल रही है।
वहीं, इन बच्चों ने 24 फरवरी को अंतिम बार एटीएम से पैसे निकाले थे। अब पैसे भी खत्म हो चुके हैं और खाने का सामान भी। ऐसे में किसी तरह पानी-बिस्कुट से उनका गुजारा हो रहा है।