यूक्रेन में फंसे भारतीयों को कुवैत निकासी की तर्ज़ पर वापिस लाए सरकार
आज की तारीख में लगभग 18000 भारतीय यूक्रेन में फंसे हैं इन 18000 में ज्यादातर भारतीय छात्र हैं जो पढ़ाई करने के उद्देश्य से वहां गए थे भारतीयों को लाने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा की शुरुआत की है लेकिन जिस गति से फंसे हुए भारतीयों को लाया जा रहा है वह गति बहुत धीमी है अभी जिस तरह के वीडियो फुटेज सामने आ रहे हैं जिनमें या तो भारतीय छात्रों को पीटा जा रहा है या उनको खाने को नहीं दिया जा रहा है वह बहुत ही दिल दहला देने वाले हैं अभी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक छात्र निखिल के वीडियो जिसमें निखिल बताते हैं कि वह अपने अपने दोस्तों के साथ कैब करके यूक्रेन से पोलैंड बॉर्डर की तरफ निकले उन्हें बॉर्डर से 25 किलोमीटर पीछे ही कैब से निकाल दिया गया और वह 25 किलोमीटर पैदल चल कर बॉर्डर पर पहुंचे तो वहां से उन्हें ले जाने का भारत सरकार ने कोई प्रबंध नहीं किया था
रात को -3 से -4 डिग्री के तापमान पर रहते हुए रात विताई।
रात को उन्हें व उनके जैसे अन्य छात्र भूखे रहे लेकिन भारत सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं की गई।
इस तरह के बहुत सारे वीडियो वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं जो सच में ही मार्मिक व सोचनीय है। इससे पहले भी भारत ने काफी अन्य देशों से अपने लोगों को निकाला था लेकिन उस समय एयर इंडिया सरकारी हुआ करता था सरकार ने अपने निजी फायदे के लिए एयर इंडिया का प्राइवेटाइजेशन कर दिया अब ऑपरेशन गंगा शुरू किया गया है और निकालने के लिए एयर इंडिया का ही इस्तेमाल किया जा रहा है जिस लिए अब टाटा समूह से परमिशन लेनी पड़ती है जो बहुत ही शर्मनाक है क्योंकि जब एयर इंडिया भारत सरकार का उपक्रम हुआ करता था तो यह निकासी कार्य बहुत आसान था चाहे वह कुवैत युद्ध की बात हो या यमन से जब भारतीयों को लाया गया था।
भारत सरकार को भारतीयों की निकासी का तुरंत प्रबंध करना चाहिए।इसमें सबसे ज्यादा दर्दनाक हादसा आज सामने आया जब कर्नाटका के 21 साल के लड़के की गोली मार के हत्या कर दी गई अगर हमारे भारतीयों को जल्दी नहीं निकाला गया तो इस तरह की घटनाएं और भी बढ़ सकती हैं तो भारत सरकार को इसमें मुस्तैदी दिखानी चाहिए
कुवैत युद्ध के समय भारतीयों को कुवैत से निकाला गया था उस समय एयर इंडिया ने एकदम से अपने सारे फ्लाइट भेजे लेकिन यहां भारत सरकार को टाटा ग्रुप से बात करके जितनी टाटा ग्रुप भेजना चाहे उतने ही विमान भेज सकते हैं अब इन लोगों को निकालने के लिए प्राइवेटाइजेशन आड़े हाथ आ रहा है वहां से वायरल हो रहे वीडियो में कुछ जगह तो यह भी देखा गया कि छात्रों ने दूतावास में संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन दूतावास के दरवाजे नहीं खुले सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए अभी भारत सरकार या समर्थक लोग बार-बार यह कह रहे हैं कि मोदी जी का रुतबा इतना बढ़ गया है कि रूस की सेना जिन गाड़ियों पर भारत के झंडे लगे हैं उन गाड़ियों को नहीं रोक रही है रूस के साथ भारत के संबंध कांग्रेस की देन है इस दुख की घड़ी में भी भाजपा समर्थक राजनीति करने पर लगे है।
आज हमारी प्राथमिकता है वहां फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना है और हम मोदी सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इस गति को तेजी से कार्य करें ताकि किसी भी बच्चे की या भारतीय की जान वहां आ जाए हम सुरक्षित उनको अपने घर ला सके।
आज से लगभग तीन दशक पहले 1990 में 1.70 लाख भारतीयों की निकासी कुवैत से की गई थी जो आज भी गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है तब भारत सरकार ने जो प्रबंध किया था उसमें कुवैत से लोगों को बसों में बैठाकर जॉर्डन लाया गया था और वहां वहां से एयर इंडिया की लगातार फ्लाइट से बिठा कर भारत लाया गया था तब संसाधन भी सीमित थे और भारत आज के जितना समृद्ध नहीं था आज हमारा देश समृद्ध है इसलिए भारत सरकार को उस अभियान की तर्ज पर अभियान चलाकर मात्र 18000 लोगों को जल्दी से जल्दी निकालना चाहिए था और निकालकर सुरक्षित भारत लाना चाहिए।