कोरोना मृतकों के परिजनों को राहत राशि देने से बच रही है सरकार : राजेश धर्माणी
घुमारवीं ।रजनीश धीमान
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं पूर्व सीपीएस राजेश धर्माणी ने कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले डेढ़ सालों से हो रही मौतों को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से अब तक जितने भी लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है, उनके मृत्यु प्रमाण पत्र पर इसका उल्लेख करने से परहेज रखा जा रहा है। इससे ऐसा लग रहा है कि सरकार कोरोना मृतकों के परिजनों को राहत राशि देने से बचने के लिए यह हथकंडा अपना रही है।
राजेश धर्माणी ने कहा कि कोविड-19 की चपेट में आने वाले लोगों के इलाज के लिए कोविड केयर सेंटर और कोविड अस्पताल पिछले डेढ़ वर्ष से काम कर रहे हैं। वहां इलाज के लिए दाखिल किए जाने वाले कोरोना मरीजों के परिजनों को उनसे मिलने की अनुमति भी नहीं दी जाती। यदि कोरोना की वजह से किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार भी कोविड प्रोटोकाॅल के तहत ही किया जाता है। इतना सब होने के बावजूद कोरोना मृतकों के मृत्यु प्रमाण पत्रों पर यह लिखने से गुरेज किया जा रहा है कि संबंधित व्यक्ति की मौत कोविड-19 से हुई है। ऐसा करने के बजाए मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत का कारण किडनी या हार्ट फेल होना अथवा ब्लड प्रेशर बढ़ना आदि लिखा जा रहा है, जो हैरान करने वाला पहलू है।
राजेश धर्माणी ने कहा कि पिछले डेढ़ सालों में कोविड-19 की वजह से जितनी भी मौतें हुई हैं, उनकी मुख्य बीमारी कोरोना ही थी। कोरोना की वजह से ही उनकी किडनी या लंग्स खराब होने, हार्ट फेल होने अथवा ब्लड प्रेशर बढ़ने की नौबत आई। पूरी तरह से स्वस्थ कई नौजवान भी कोरोना संक्रमण के चलते जान गंवा चुके हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि मृतकों के मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत का कारण सीधे तौर पर कोरोना क्यांे नहीं लिखा जा रहा है। इससे ऐसा लग रहा है कि कोरोना मृतकों के परिजनों को राहत राशि देने से बचने के लिए सरकार ने यह हथकंडा अपनाया है। यदि ऐसा है तो आपदा की इस घड़ी में इससे अधिक शर्मनाक और कोई बात नहीं हो सकती।