बिलासपुर - आज 60 साल का हुआ नया बसाया बिलासपुर शहर - क़हलूर न्यूज़
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बिलासपुर - आज 60 साल का हुआ नया बसाया बिलासपुर शहर - क़हलूर न्यूज़

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देश को रोशन करने की खातिर अपना सबकुछ बलिदान करने वाले भाखड़ा विस्थापित बुजुर्ग आज भी नहीं भुला पाए जलसमाधि लेता पुराना शहर

बिलासपुर  9  अगस्त ,रजनीश धीमान

 चल मेरी जिंदे नवीं दुनियां बसाणी, डूबी गए घरबार आई गया पाणी…

 जलमग्न बिलासपुर शहर पर आधारित यह पंक्तियां विस्थापन के दर्द को बयां करती हैं। जल समाधि के उस लोमहर्षक क्षण को यादि करते हुए बुजुर्ग आज भी इन्हीं पंक्तियों को गाते हैं। कविता को सुनने के बाद शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसकी आंखें नम न हों। देश को रोशन करने की खातिर अपना सब कुछ बलिदान करने वाले भाखड़ा विस्थापित बुजुर्ग आज भी जल समाधि लेते पुराने ऐतिहासिक शहर के उन पलों को नहीं भूला पाए हैं। नया बिलासपुर शहर को  आज 60 साल हो जायंगे ।

 पुराने ऐतिहासिक शहर के नौ अगस्त, 1961 को जल समाधि लेने के बाद झील किनारे नए शहर का निर्माण किया गया था। लंबा समय बीतने के बाद आज भी भाखड़ा विस्थापित अपने झील में समाए उजड़े हुए आशियानों को याद कर सिहर उठते हैं। जलमग्र होने से बिलासपुर के 354 गांव, 12 हजार परिवार और 52 हजार लोग उजड़े थे। शहर के वरिष्ठ नागरिकों सर्वदलीय भाखड़ा विस्थापित एवं प्रभावित समिति के महासचिव पंडित जयकुमार शर्मा, प्रसिद्ध साहित्यकार कुलदीप चंदेल, कर्नल अंबा प्रसाद गौतम व ग्रामीण भाखड़ा विस्थापित सुधार समिति बिलासपुर के अध्यक्ष देशराज आदि के मुताबिक अगर आज भी वही पुराना शहर होता, तो यहां का नजारा कुछ और ही होता। वे गलियां वे चौबारे जहां सांझ के समय दोस्त इकट्ठा होकर दिन भर की बातें साझा करते थे। उनका कहना है कि आज भी चामडू के कुएं और पंचरुखी का मीठा जल याद आता है।


 गोपाल मंदिर के भीतर वकील चित्रकार के दुर्लभ चित्रों को वे कभी भूला ही नहीं पाए हैं। दिवंगत विधायक पंडित दीनानाथ ने उस समय की स्थिति का वर्णन अपनी कविता नौ अगस्त की शाम में बड़े मार्मिक ढंग से किया है। प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जिस भाखड़ा बांध को देश को आधुनिक मंदिर बताया था, उस आधुनिक मंदिर के निर्माण के लिए ऐतिहासिक नगर की कुर्बानी दी गई थी।


 ग्रामीण भाखड़ा विस्थापित समिति के अध्यक्ष देशराज शर्मा का कहना है कि देश के पहले प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था विस्थापितों को इतनी सुविधाएं दी जाएंगी कि वे अपने विस्थापन के दर्द को भूल जाएंगे, लेकिन सरकारों ने केवल राजनीतिक रोटियां ही सेंकी हैं। वहीं 13 अगस्त को भड़ोलीकलां में ग्रामीण विस्थापितों के सम्मेलन में सांसद अनुराग ठाकुर मुख्यातिथि व विधायक जेआर कटवाल विशेष अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे।

नौ अगस्त आएगा, पुरानी याद ताजा करवाएगा

बड़ा अद्भुत था, वह एक शहर पुराना साए, पंछी थे कलरव करते, बूढ़े पेड़ों पर बांसों के बिहड़ों पर, एक नदिया भागती शोर मचाती, पीछे छोड़ जाती मछुआरों  के जालों को, अचानक किस्मत ने पलटा खाया, खंड-खंड हुआ वह एक शहर पुराना सा, सतलुज बनी गोविंद सागर, कैसा हुआ यह परिवर्तन। इस बार भी नौ अगस्त आएगा, पुरानी याद ताजा करवाएगा।

नौ अगस्त, 1961 को पहली बार बढ़ा बांध का जलस्तर

इस शहर का डूबना एक संस्कृति का डूबना था। गोविंदसागर झील में कहलूर रियासत का रंग महल व नया महल ही नहीं डूबे, बल्कि उनसे भी पुराने महल शिखर शैली के 99 मंदिर, स्कूल, कालेज, पंचरुखी नालयां का नौण, दंडयूरी, बांदलिया, गोहर बाजार, सिक्खों का मुड में गुरुथान, गोपालजी मंदिर और कचहरी परिसर भी डूबा। नौ अगस्त, 1961 को पहली बार भाखड़ा बांध का जलस्तर बढ़ा, तो बिलासपुर का पुराना शहर डूबता चला गया।

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