युक्तिकरण के नाम पर शिक्षकों , विशेषकर महिला शिक्षकों, के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही प्रदेश सरकार - धर्माणी
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युक्तिकरण के नाम पर शिक्षकों , विशेषकर महिला शिक्षकों, के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही प्रदेश सरकार - धर्माणी

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युक्तिकरण के नाम पर शिक्षकों , विशेषकर महिला शिक्षकों, के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही प्रदेश सरकार

घुमारवीं।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र धर्मानी ने प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार शिक्षा विभाग में युक्तिकरण के नाम पर शिक्षकों , विशेषकर महिला शिक्षकों, के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है। मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में धर्मानी ने कहा कि सरकार अपने नेताओं के राजनीतिक इशारों पर शिक्षकों को दुर्गम क्षेत्रों में जबरन स्थानांतरित कर रही है जो न केवल कर्मचारी विरोधी है बल्कि शिक्षा व्यवस्था के लिए भी घातक सिद्ध हो रहा है।

धर्मानी ने आरोप लगाया कि सेवानिवृत्ति के निकट पहुंच चुकी कुछ महिला शिक्षकों को भी बिना मानवीय दृष्टिकोण के अत्यंत दुर्गम क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। इससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्थानांतरण प्रक्रिया पूरी तरह से एकपक्षीय, अमानवीय और राजनीति से प्रेरित है।

उन्होंने यह भी बताया कि पहले से ही जिलों में शिक्षकों की भारी कमी है और कई स्कूलों में विषयाध्यापक नहीं हैं। ऐसी स्थिति में राजनीतिक देश के चलते शिक्षकों को किन्नौर, बड़ा भंगाल, पांगी, लाहौल-स्पीति व सिरमौर जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में भेजना तर्कसंगत नहीं है। इससे न केवल शिक्षकों के साथ अन्याय हो रहा है, बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। कई स्कूलों में एक ही शिक्षक को कई विषय पढ़ाने पड़ रहे हैं, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संभव नहीं हो पा रही है।

भाजपा प्रवक्ता ने नौ वोकेशनल टीचर्स की बर्खास्तगी को भी सरकार की कर्मचारी विरोधी मानसिकता का परिचायक बताया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल इन शिक्षकों के भविष्य के साथ अन्याय है, बल्कि यह सरकार की संवेदनहीनता को भी उजागर करता है।धर्मानी ने प्रदेश सरकार से मांग की कि शिक्षकों के तबादलों की प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाया जाए, जिलों में शिक्षकों की कमी को शीघ्र दूर किया जाए और बर्खास्त किए गए वोकेशनल शिक्षकों की सेवाएं तुरंत बहाल की जाएं।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र निर्णयों की पुनः समीक्षा नहीं की, तो भाजपा कर्मचारी हितों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरने से भी पीछे नहीं हटेगी।
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