चाहे दोस्तों ने पिलाया या शौक में लगी चिट्टा की लत, काउंसलिंग कर बच्चों को बचाना जरूरी : महेंद्र धर्माणी
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चाहे दोस्तों ने पिलाया या शौक में लगी चिट्टा की लत, काउंसलिंग कर बच्चों को बचाना जरूरी : महेंद्र धर्माणी

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चाहे दोस्तों ने पिलाया या शौक में लगी चिट्टा की लत, काउंसलिंग कर बच्चों को बचाना जरूरी : महेंद्र धर्माणी 

संस्कार संस्था के चिट्टा जागरूकता अभियान में सजी कवियों की महफ़िल  

सबसे पहले चिट्टे के विरुद्ध जागरूकता अभियान चलाने वाली संस्था है संस्कार सोसाइटी 

घुमारवीं

घुमारवीं अगेंस्ट "चिट्टा" के तहत संस्कार सोसाइटी घुमारवीं ने रैन बसेरा में "कवि सम्मेलन" का आयोजन किया गया । 
मुख्यातिथि के रूप में कुलदीप चंदेल वरिष्ठ लेखक उपस्तिथ रहे । उन्होंने कहा कि संस्कार संस्था जैसी समाज सेवी संस्थाओं की समाज को बहुत जरूरत है । हिदुस्तान के युवा को नशे से खोखला करने के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ हो सकता है । हमे चिट्टा सप्लायरों की चेन को तोड़ना होगा । अपने बच्चों के साथ मित्र की तरह रहे और बच्चों से दूरी बिल्कुल भी न बनाये । कार्यक्रम अध्यक्ष रविन्द्र शर्मा लेखक महासंसघ  महासचिव ने कहा कि संस्था नशे के प्रति समाज मे जागरूकता कर नेक कार्य कर रही है । पुलिस चाहे तो चिट्टा बिकना बन्द हो जाए अगर ईमादारी से काम करे । सहानुभूति से बच्चों से नशे को छुड़ाए । 

       कवि सम्मेलन में जिला के प्रख्यात कवियों व युवा कवियों ने भाग लिया । कवि सम्मेलन में कविताओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया । नाम ही है चिट्टा काम है काले , माता पिता क्या करे जब हर जगह पहुच रहा चिट्टा, ढाई इंच की सृंज से युवा के खून को पानी बनाया जा रहा है चिट्टा , नशे से दुखने लगी हड्डियां ,मत फसा इस चिट्टा रे नशा नहीं तो हो जाना बर्बाद, चिट्टे नो न लगायो हथ मेरे युवा साथियो , उड़ता पंजाब कब बन गया शांत हिमाचल मेरा, चिट्टा चिट्टा गलि मोहले च बिक़दा तस्कर बेची बेची नी रजदा, फिटे मुह चिटुआ, नशा मुक्त अभियान चलाकर चिट्टा नामक राक्षश को भगाना है, शर्म करो चिट्टे रे बपारियो पुड़िया च मत बेचो मौत, मौत रे बपरिया जो चक्के भगवान , चिट्टे के खिलाफ है समाजमे अलख जगाना है, बच्चा अपना हो या पराया सब को बचाना है , चिट्टा है मीठा जहर ,चिट्टे रे नशे ज्यूंदे ही मारे , किने बगाड़े मारे गबरू आदि कवितायें गाकर चिट्टे के प्रति जागरूक किया । 

                 संस्थापक महेंद्र धर्माणी ने कहा कि चिट्टे से आज हमारे बच्चे ऐसे मर रहे है जैसे पेडों से पत्ते झड़ रहे हो , इसे रोकने के लिए नशे माफिया पर लगाना और चिट्टा के नशे में फंस चुके बच्चो को काउंसलिंग की मदत्त से बाहर निकालने का काम करना होगा तभी हमारी युवा पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित होगा । उन्होंने कहा कि बच्चों की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है अब भाषण से काम नही चलेगा , बच्चो को चाहे शौक में या दोस्तो ने चिट्टा पिलाया हो उसके बारे में हमे धारणा बदलनी पड़ेगी । हमे उसकी काउंसलिंग करनी होगी और बच्चों को ऐसा मोहाल देना होगा कि वह अपने दिनचर्या की हर बात अपने माता पिता से सांझा करे । छोटे बच्चों को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है । उन्होंने गांव के बुद्धिजीवियों , बड़े बजुर्गो से आग्रह किया कि हम अपने गांव व आस पडोस में किसी भी अनजान या संधिग्ध व्यक्ति को नही आने दे । अगर कोई आए तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस को दे। चिट्टा सप्लायर और पुलिस पर अगर सामाजिक दबाव बढेगा तभी पुलिस और प्रशासन हरकत में आएगा । उन्होंने कहा कि पुलिस को सख्ती से काम करने की जरूरत है । 



संस्था डेड वर्ष से चला रही घुमारवीं अगेंस्ट चिट्टा अभियान 
संस्था पिछले डेड वर्ष से घुमारवीं अगैस्ट चिट्टा अभियान को निरंतर चला रही है । घुमारवीं के पंचायत प्रतिनिधियों , शिक्षण संस्थानों , गांव गांव में जाकर जागरूकता का कार्यक्रम कर रही है और स्कूली बच्चों के लिए उपमंडल स्तर की पेंटिंग प्रतियोगिता भी करवा चुकी है। इस प्रकार के विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से घुमारवीं में 10000 लोगों से प्रत्यक्ष संवाद व संपर्क करने का काम किया गया। अब आगे संस्था घर - गांव जागरूकता अभियान चला रही है जिसमें संस्था हर गाँव मे जागरूकता कमेटियां बना रही है ।

   इस दौरान जीवन , सुनील शर्मा , अजय शर्मा , कनिका, नैंसी ठाकुर, रवींद्र सारथी, बीरबल धीमान, रेखा चंदेल, बाबू राम धीमान, डॉ अनेक संख्यान, देवेंद्र ठाकुर, प्रीति मधु, ब्रिज लाल , विनोद वर्मा, केशव शर्मा, रचना चंदेल, परजीत, राज कुमार, एन आर हितेषी, धर्म चंद धीमान, जीतराम सुमन, सुषमा खजुरिया, संदेश आदि कवि उपस्तिथ रहे ।
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