जिले में 156 शराब की दुकान लेकिन एक पास भी नही है फूड लाइसेंस
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जिले में 156 शराब की दुकान लेकिन एक पास भी नही है फूड लाइसेंस

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जिले में 156 शराब की दुकान लेकिन एक पास भी नही है फूड लाइसेंस ,

 जिले में 156 शराब की दुकान लेकिन एक पास भी नही है फूड लाइसेंस , 

बिना फूड लाइसेंस संचालित शराब की दुकानों के लिए एक्ट में 10 लाख रुपए के  जुर्माने का प्रावधान

प्रदेश में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत शराब बेचने के लिए फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया से फूड लाइसेंस लेना अनिवार्य है। लेकिन अगर जिला बिलासपुर की बात की जाए तो  इस समय जिले में सभी शराब की  दुकाने बिना  फ़ूड लाइसेंस के ही चलाई जा रही हैं ।क्योंकि बीते 5 महीनों में अभी तक किसी भी शराब कारोबारी द्वारा इन नियमों की पालना नहीं की गई है ।

यही कारण है कि पूरे जिले में एक भी शराब की ऐसी दुकान नहीं है जिस पर इन नियमों का पालन करते हुए फूड सेफ्टी लाइसेंस लिया गया हो ।बताते चले कि फूड सेफ्टी एक्ट के तहत शराब की दुकानों के लिए भी फूड लाइसेंस जरूरी है ,लेकिन शराब कारोबारीयों  द्वारा सरेआम नियमों का उल्लंघन तो किया ही जा रहा है साथ ही लाइसेंस ना बनवा कर सरकार के राजस्व में  भी चपत लगाई है। 



बिना फूड लाइसेंस संचालित इन दुकानों के लिए एक्ट में 10 लाख रुपए के  जुर्माने का प्रावधान

हैरानी की बात यह है कि इस बात की जानकारी खाद्य सुरक्षा विभाग को भली भांति है। बावजूद इसके 6 महीने बीत जाने के बाद भी शराब की इन दुकानों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है ।हालांकि विभाग की माने तो बिना फूड लाइसेंस संचालित इन दुकानों के लिए एक्ट में 10 लाख रुपए के  जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।

 एक तरफ तो सरकार नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्य कार्यवाही के रूप में भारी भरकम जुर्माना तथा सजा का प्रावधान रखती है। परंतु दूसरी तरफ  विभागीय कार्रवाई न होने के कारण यह लोग सरेआम नियमों का उल्लंघन कर सरकार के बनाए कानून को ही ठेंगा दिखा रहे हैं। क्योंकि एक्ट के तहत जिन दुकानों  का सालाना  टर्नओवर12 लाख रुपये का है उन्हें 2 हजार रुपये सालाना लाइसेंस फीस निर्धारित है। जबकि जिनका टर्नओवर 12 लाख से कम है उन्हें 100 फीस देकर रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। और जिले में लगभग सभी शराब की दुकानों का टर्नओवर 12 लाख रुपए से ऊपर है ।




सरकार के राजस्व को एक साल का 3 लाख बारह हजार का नुकसान 

जबकि इस समय जिले में 156 शराब की दुकानें है। इन सभी दुकानों के लाइसेंस बनने से सरकार को साल में तीन लाख बारह रुपये का राजस्व मिलता। मगर लाइसेंस न बनने से जहां सरकार को लाखों रुपए का राजस्व का नुकसान हुआ है। वहीं उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है। क्योंकि फूड एंड सेफ्टी लाइसेंस में सेल्समैन की स्वास्थ्य की जांच जरूरी है। लेकिन शराब कारोबारी सरेआम इन नियमों का उल्लंघन कर कानून को ठेंगा दिखाने में लगे हुए हैं।
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सभी शराब की दुकानों के लिए फूड लाइसेंस बनवाना जरूरी है  जबकि जिले में किसी भी शराब कारोबारी द्वारा अभी तक फूड लाइसेंस के लिए अप्लाई नहीं किया है।जबकि सभी को जल्द से जल्द लाइसेंस बनवाने के लिए निर्देश जारी किए थे। बावजूद इसके अभी तक हमारे पास कोई आवेदन नहीं आया है । जबकि हमने पिछले दिनों कुछ दुकानों के चालान भी किए थे और अब जल्द ही पूरे जिले में कार्रवाई शुरू की जाएगी।
महेश कश्यप (आयुक्त, खाद्य सुरक्षा विभाग बिलासपुर)
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