प्रदेश हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्ति आयु को लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने आदेश दिए कि सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु पूरा करने पर ही सेवानिवृत्त किया जाए। हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति की आयु को लेकर किया जा रहा भेदभाव गैर-कानूनी है। इसलिए जो भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 10 मई 2001 के बाद सरकारी सेवाओं में लगे हैं उन्हें भी अब 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्त किया जाएगा। जिन कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु से पहले रिटायर कर दिया गया है उन्हें वापस नौकरी के लिए बुलाने के आदेश जारी करते हुए कोर्ट ने उन्हें 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर ही रिटायर करने के आदेश जारी किए।
कोर्ट ने उन कर्मचारियों को भी बड़ी राहत दी है जिन्हें 60 वर्ष की आयु पूरी होने के कारण वापस नौकरी पर नहीं रखा जा सकेगा। कोर्ट ने ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मुआवजे के तौर पर पैंशन काटकर 2 वर्ष की तनख्वाह देने के आदेश भी दिए। कोर्ट ने साथ ही 21 फरवरी, 2018 को राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को भी रद्द कर दिया जिसके तहत यह व्यवस्था दी गई थी कि 10 मई, 2001 के बाद नियुक्त किए गए चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को 58 वर्ष की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्त किया जाएगा। इस अधिसूचना को सैंकड़ों विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी।एक साथ 112 याचिकाओं का निपटारा करते हुए मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह निर्देश जारी किए कि जो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अंतरिम आदेशों की दृष्टिगत अपनी सेवाएं 58 वर्ष के बाद भी जारी रखे हुए हैं वह 60 वर्ष की आयु तक कार्य करेंगे। जिन्हें अंतरिम आदेश नहीं मिले हैं उनकी सेवाएं बहाल होने के बाद 60 वर्ष की आयु तक कार्य करेंगे और जो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पहले ही 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके हैं उन्हें 58 वर्ष के बाद 2 वर्ष वित्तीय लाभों का भुगतान किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी एक समरूप वर्ग होने के कारण उनके बीच सेवानिवृत्ति की आयु को लेकर कोई भेदभाव नहीं हो सकता।