मिनर्वा की छात्राएं शहरीकरण के कारण पक्षियों पर पड़ रहे प्रभाव के बारे में लोगों को कर रही जागरूक
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मिनर्वा की छात्राएं शहरीकरण के कारण पक्षियों पर पड़ रहे प्रभाव के बारे में लोगों को कर रही जागरूक

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मिनर्वा की छात्राएं शहरीकरण के कारण पक्षियों पर पड़ रहे प्रभाव के बारे में लोगों को कर रही जागरूक

घुमारवीं

मिनर्वा स्कूल घुमारवीं की छात्राओं ने शहरीकरण के कारण पक्षियों की स्थिति के बारे में लोगों को घर घर जाकर जागरूक किया। लोगों को जागरूक किया कि पक्षियों को बचाने के लिए क्या प्रयास किये जाने चाहिए जिससे पक्षियों की संख्या न घटे। स्कूल की छात्राएं अर्बन वर्ड्स एंड थेइर सर्वाइवल टैक्टिस (शहरी पक्षी और उनकी उत्तरजीविता रणनीति) पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इन छात्रों में शिवांगिनी, सानिया, निहारिका, शैज़ल, ओषर्वि शर्मा शामिल हैं। 

जबकि कोर्डिनेटर सुजाता कुमारी व को ऑर्डिनेटर आशीष शर्मा व अनिल शर्मा बच्चों के साथ इस प्रोजेक्ट के मदद कर रहे हैं। अपने प्रोजेक्ट को लेकर छात्राएं शहर के आसपास के घरों में गई और जानने की कोशिश की की क्या वह हमारे विषय से परिचित हैं या नहीं। छात्राओं ने लोगों को बताया कि शहरीकरण के कारण पक्षियों पर क्या प्रभाव पड़ता है और बताया कि शहरीकरण के कारण पक्षियों की संख्या भी कम होती जा रही है जिसके कारण हम मनुष्यों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। छात्राओं ने लोगों से बातचीत करते हुए यह भी बताया कि जो भी पक्षियों के संरक्षण के लिए छोटे-छोटे कदम उठा सके वह हमें उठाने चाहिए ताकि पक्षियों की घटती संख्या को बचाया जा सके।

घर घर मे बच्चों ने जागरूक करते हुए बताया कि कोई विशेष पक्षी समुदाय जो कि इन शहरों में अपने विशिष्ट खाने की तलाश में असफल होता है, रहन सहन आदि में जब नहीं ढल पाता है तो सामान्य पक्षी प्रजाति की तुलना में वह शहरों से खुद-ब-खुद दूर होने लगता है।


 शहरी पक्षियों के स्वभाव में परिवर्तन है, आवाजों तक बदलाव है और ग्रामीण पक्षियों के मुकाबले वे थोड़े ढीठ व दबंग किस्म के होते हैं। अन्य प्रजातियों में हार्मोनल के साथ ही शारीरिक और अनुवांशिक परिवर्तन भी देखे गए हैं। जिन-जिन जगहों पर विकास के नाम पर शहरीकरण बढ़ता गया, उन जगहों से पक्षी दूर होते गए। शहरों के कारण प्रवासी पक्षियों ने भी शहरों की ओर जाना छोड़ दिया है। जंगल कम क्या हुए पक्षी भी सिमटने लगे।

 आधुनिकता की चकाचौंध में हम बंद कमरों में सिमट कर रह गए। लेकिन पेड़ पौधों के संरक्षण को भूल गए। हरियाली मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों को भी जीने की राह सिखाती है। लेकिन बढ़ती आबादी और शहरीकरण के विस्तार से पेड़ों की संख्या लगातार कम हो रही है। उन्होंने लोगों को जागरूक किया कि पक्षियों को अगर बचाना है तो हमें पेड़ पौधें का खासकर ध्यान रखना होगा।
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