स्थानीय उत्पादों की ब्रांडीग का आधार हिम इरा साप्ताहिक बाजार
शहर की रसोई का बढाते स्वाद हिम इरा बाजार के ग्रामीण उत्पाद
बिलासपुर 10 जनवरी- स्थानीय उत्पादों को ग्रामीण आचंलिकता से निकाल कर बिलासपुर शहर वासियो की उपलब्धता व उपयोगिता के लिए सुलभ बनाने के साथ-साथ ग्रामीण अजीविका के सुदृढीकरण के लिए हिम ईरा साप्ताहिक बाजार को प्रत्येक माह की 5 व 20 दिनांक को लोग उत्सुकता के साथ प्रतिक्षा करते है। राष्ट्रीय ग्रामीण अजीविका मिश्न के अर्न्तगत जिला ग्रामीण विकास अभीकरण द्वारा साप्ताहिक बाजार में जिला के लगभग 15 स्वयं सहायता समुह स्थानीय उत्पादों का विक्रय करते है।
अजीविका उपार्जन के साथ साथ यह समुह गांव की मिटटी से निकले उत्पादों को शहर की आबोहवा में लाकर शहर वासियों की रसोई का स्वाद बढाते है। हल्दी, सीरा, विभिन्न मसाले, बडीया, विभिन्न प्रकार के आचार, बेसन, आमला, जामुन व नीम का पाउडर तथा अनेक प्रकार के अन्य गांव में बनने वाले उत्पादों को इन बाजारों में बेचा जाता है।
साप्ताहिक बाजार में बिकने वाले उत्पाद गुणवता व स्वच्छता की कसौटी के साथ साथ भरपूर पौष्टिकता भी प्रदान करते है जिसके चलते इन उत्पादो की मांग व विश्वास लोगों में बढा है। इसके अतिरिक्त घुमारवीं, झण्डुता, श्री नयना देवी मं राष्टीय गा्रामीण अजीविका मिश्न के तहत स्थाई दुकाने स्वयं सहायता समुह को आवंटित की गई है। जिसे हिम ईरा हाट का नाम दिया गया है। समुह की अजीविका बढाने के लिए जिला डाकघर मे समुह द्वारा निर्मित उप्तादों की बिक्री लिए लघु पटल खोला गया है। आईटीआई बिलासपुर व झाण्डुता में स्वय सहायता समूह द्वारा हिम इरा कैन्टीन में समुह की महिलाए शुद्ध भोजन करवाती है।
स्थानीय उत्पादों को बिलासपुर के साथ साथ प्रदेश के अन्य जिलो में विभिन्न मेलों व त्योहारों के दौरान सजने वाले स्टॉल में ले जाया
जाता है। यह उत्पाद अन्यों राज्यों के लोगों को भी आकर्षित कर रहे है। सरस मेलेे के माध्यम से उतराखंड, दिल्ली, हरियाणा, चण्डीगढ व देश के अन्य क्षत्रों में स्वयं सहायता समुहों को भेजकर न केवल उत्पाद का प्रचार प्रसार किया जा रहा है बल्कि स्थानीय उत्पादों के स्वाद और महक को राष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाने के लिए भी प्रयास किये जा रहे है।
हिम ईरा साप्ताहिक बाजार को लेकर बिलासपुर के लोगों के साथ साथ स्वयं सहायता समुह की महिलाए उत्सुकता के साथ 5 और 20 तारीख की प्रतिक्षा में रहती है। यद्यपि सर्दी के मौसम में दूर से आकर हाट सजाना बाबा बालक नाथ स्वय सहायता समुह कुठेरन की महिलाओं के लिए कठिनाई पैदा कर रहा है किन्तु मुनाफा कमाने की ललक उनमें गर्मी पैदा करती है। शिव स्वयं सहायता समुह झण्डुता की जगदम्बा देवी तो हाट मंे होने वाले मुनाफे पर इतराते हुए कहती है ‘‘बिक्रि बढी अच्छी हुई’’। ओम नमो शिवाय स्वयं सहायता समूह की सपना देवी 5 व 20 तारिख को हाट में बेचने के लिए उत्पादों की तैयारी माह भर में करती रहती है। जागृती स्वयं सहायता समुह पंजगाई की लता देवी ने भी अपनी अजीविका को इस माध्यम से बढाने में खासी सफलता पाई है।