बिलासपुर -घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित- क़हलूर न्यूज़
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बिलासपुर -घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित- क़हलूर न्यूज़

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घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

बिलासपुर 2 सितम्बर -  रजनीश धीमान

जिला परिषद भवन बिलासपुर के सभागार में राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान में घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 पर जिला बिलासपुर के महिला संरक्षण अधिकारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का अयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा डाॅ. डेजी ठाकुर ने की। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए परिवारों के मध्य अधिक सांमजस्य तथा पारिवारिक मूल्यों में विश्वास आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि किसी भी देश के उत्थान के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण, संरक्षण बहुत आवश्यक है। घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, लैगिंक हिंसा से सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि अधिनियम के लागू के पश्चात महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है।


उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग के महिला संरक्षण अधिकारी महिलाओं को न्याय दिलाने और उन्हें घरेलू हिंसा से संरक्षण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। महिला संरक्षण अधिकारियों को महिलाओं की घरेलू हिंसा से सुरक्षा हेतू अपने कार्य निष्पादन में आने वाली विभिन्न कठिनाईयों को भी महिला आयोग सरकार के समुख रखेगा और उनके शतप्रतिशत समाधान का प्रयास करेगा।


उन्होंने बताया कि एक ही छत के नीचे हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदान करने के लिये प्रदेश भर में वन स्टॉप सेंटर प्रत्येक जिला में स्थापित किए गए है।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 महिलाओं को हर प्रकार के उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं अपने विरूद्ध हो रहे अत्याचार के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करवाती हैं जिसके लिए उन्हें और अधिक जागरूक किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा के अधिकतर मामले आपसी बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं।


उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास तथा पुलिस विभाग को अधिक समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए ताकि घरेलू हिंसा के मामलों की जानकारी प्राप्त कर इन्हें शीघ्र निपटाया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में महिला एवं बाल विकास विभाग के संरक्षण अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित सभी संरक्षण अधिकारियों एवं अन्य का आह्वान किया कि घरेलू हिंसा की शिकायतों का त्वरित संज्ञान लें और आवश्यकता पड़ने पर मामले की जानकारी उचित स्तर तक प्रेषित करें ताकि पीड़ित महिला को अविलम्ब न्याय प्राप्त हो सके।  

इस अवसर पर विधि अधिकारी अनुज वर्मा, अधिवक्ता अर्चित संत, तेजस्वी ने घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 की विस्तृत जानकारी प्रदान की और उदाहरण देकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।  
जिला कार्यक्रम अधिकारी अश्वनी ने मुख्यातिथि का स्वागत किया।

एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीडीपीओ झण्डूता नरेन्द्र शर्मा, सीडीपीओ घुमारवीं रंजना सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक एवं संरक्षण अधिकारी उपस्थित रहे।
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