हिमाचल में साढ़े 18 लाख राशनकार्ड उपभोक्ता हैं। इनमें 12.50 लाख एपीएल और 4.45 लाख बीपीएल उपभोक्ता हैं। सरकार की ओर से उपभोक्ताओं को सब्सिडी पर राशन उपलब्ध कराया जाता है। सरकार उपभोक्ताओं को एक लीटर रिफाइंड और एक लीटर सरसों तेल उपलब्ध कराती है। बताया जा रहा है कि रिफाइंड तेल के दाम में भारी उछाल आया है। इसके चलते अगले महीने दो लीटर सरसों तेल ही देने का फैसला लिया गया है।
यूपीए सरकार थी, तब कांग्रेस को नजर नहीं आई महंगाई : गर्ग
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजेंद्र गर्ग ने कहा कि कांग्रेस के नेता कोरोना महामारी के दौरान भी ओछी राजनीति से बाज नहीं आ रहे। कांग्रेस नेता हर पल महंगाई का राग अलापते रहते हैं। जब देश में यूपीए की सरकार के समय खाद्यान्न की कीमतें आसमान छू रही थीं और दालें 150-300 रुपये प्रति किलो के भाव से मिलती थी, तब उन्हें महंगाई नजर नहीं आती थी। आज कोरोना संकट में भी उस समय की तुलना की जाए तो खाद्य पदार्थों के भाव बहुत कम हैं। मंत्री ने कहा कि सरकार खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से जनता को सब्सिडी दे रही है। बीपीएल परिवारों को डिपुओं में दालें बाजार मूल्य से लगभग 30 रुपये प्रति किलो सस्ती और एपीएल परिवारों को 20 रुपये प्रति किलो सस्ती मिल रही हैं। बीपीएल परिवारों को चीनी 13 रुपये और एपीएल को 30 रुपये के हिसाब से मिल रही हैै। तेल और आटा भी बाजार से सस्ता है। ब्यूरो
सरसों तेल की गुणवत्ता पर उपभोक्ताओं ने उठाए सवाल
राशन डिपुओं पर मिल रहे सरसों तेल की गुणवत्ता पर उपभोक्ताओं ने सवाल उठाए हैं। लोगों ने इसके रंग के साथ-साथ स्वाद को लेकर सरकार से टेस्टिंग की मांग उठाई है। लोगों का आरोप है कि अनुदान पर मिलने वाले अनाज में तेल का दाम बढ़ा दिया, लेकिन गुणवत्ता नहीं सुधारी। उपमंडल सुजानपुर के उपभोक्ताओं संजय, प्रदीप, राजेश, मोहन ने कहा कि इस तेल को एक बार सरकार के मंत्री भी खाकर देखें कि जनता को क्या परोसा जा रहा है। उधर, जिला खाद्य नियंत्रक शिवराम राही ने कहा कि अगर सुजानपुर के उपभोक्ता सवाल उठा रहे हैं तो सैंपल जांच के लिए भेजा जाएगा।