चिट्टे से पीड़ितों के साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाये समाज : महेंद्र धर्माणी
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चिट्टे से पीड़ितों के साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाये समाज : महेंद्र धर्माणी

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चिट्टे से पीड़ितों के साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाये समाज : महेंद्र धर्माणी


उन्हें पीड़ित के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि अपराधी के रूप में

घुमारवीं

संस्कार सोसायटी के संस्थापक महेंद्र धर्मानी ने प्रदेश में चिट्टे जैसे घातक नशे के प्रति बढ़ रही जागरूकता को सराहनीय पहल बताया, लेकिन साथ ही उन्होंने उन घटनाओं पर चिंता व्यक्त की, जिनमें नशा करने वालों के साथ मारपीट की जा रही है और उनकी वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही हैं। उनका मानना है कि चिट्टा पीने वाले लोग मानसिक व शारीरिक रूप से बीमार होते हैं और उन्हें पीड़ित के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि अपराधी के रूप में।

उन्होंने कहा कि संस्कार सोसायटी का मानना है की हम सभी को चिट्टा (ड्रग्स) बेचने वाले और इसे पीने वाले  लोगों में एक अंतर समझना होगा ।  जहां ड्रग पेडलर समाज को नशे के जाल में फंसाने वाले अपराधी हैं, जिनके खिलाफ कठोरतम कानून और कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, नशे के शिकार लोग खुद एक पीड़ित होते हैं, जिन्हें दंडित करने के बजाय सही उपचार और पुनर्वास की जरूरत होती है। इससे प्रभावित लोगों के प्रति समाज को एक मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, क्योंकि वे केवल अपराधी नहीं, बल्कि इस लत के शिकार भी हैं। उनके पुनर्वास और सामाजिक पुनःस्थापना में सहयोग देना हमारा कर्तव्य है।


महेंद्र धर्मानी ने स्पष्ट किया कि चिट्टा जैसी नशे की लत में फंसे लोगों के साथ दुर्व्यवहार करना किसी भी तरह से समाधान नहीं हो सकता। उनका कहना है कि नशा करने वाले लोग पहले से ही कई मानसिक और सामाजिक संघर्षों से गुजर रहे होते हैं, और अगर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाएगा, तो वे और अधिक समाज से कट जाएंगे, जिससे उनकी पुनर्वास की संभावना और कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें नशे की समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए सहानुभूति और सही मार्गदर्शन की जरूरत है।

उन्होंने यह भी कहा कि असली अपराधी वे लोग हैं जो चिट्टा बेचने का काम करते हैं। नशे के शिकार लोग किसी न किसी व्यक्तिगत, पारिवारिक या सामाजिक कारणों से इस जाल में फंस जाते हैं। इन लोगों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा। उनका पुनर्वास ही एकमात्र तरीका है जिससे वे दोबारा एक स्वस्थ और समाजोपयोगी जीवन जी सकते हैं

उन्होंने प्रदेशवासियों से विनती की कि पीड़ित लोगों के साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं और उन्हें अपनापन महसूस कराएं। हमें चाहिए कि हम इन लोगों को सहायता प्रदान करें, ताकि वे चिट्टा जैसी खतरनाक लत से छुटकारा पाकर एक सम्मानजनक जीवन जी सकें और समाज में अच्छे नागरिक बनकर योगदान दे सकें। संस्कार सोसायटी इस दिशा में निरंतर कार्य कर रही है और सभी से अपील करती है कि वे भी इस प्रयास में सहयोग करें।
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