गुग्गा जाहर वीर का गुणगान शुरू, घर-घर पहुंच रहीं मंडलियां ,लोकगीतों के माध्यम से सुनाया जा रही गुग्गा जाहरवीर की कथा
अजय शर्मा भराड़ी---///
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष में उत्तरी भारत के सभी क्षेत्रों में गुग्गा जाहरवीर की कथा को हर घर में सुनाया जाता है और गावँ की रक्षा के लिए गुग्गा जाहरवीर की कथा को लोकगीतों के माध्यम से बेंतरियों द्वारा सुनाया जाता है।उपतहसील के लढ़यानी,चकराना,मिहाड़ा,गाहर,सलाओं, बम्म ,घण्ड़ालवी आदि क्षेत्रों में मंडलियों द्वारा आजकल गुग्गा जाहरवीर की गाथा को सुनाया जा रहा है,
।इसी कड़ी में उपतहसील भराड़ी के लढ़यानी गावँ में गुग्गा जाहरवीर मंडली के प्रमुख तिलक धीमान ने इस बारे जानकारी देते हुए बताया कि इस माह सभी जगह अलग अलग रूप में गुग्गा गाथा को सुनाया जाता है और सुनाने वाले को बेंतरी के नाम से जाना जाता है,उन्होंने बताया कि गुग्गा जी का जन्म भादो नवमी को विक्रम संवत 1003 को राजस्थान के चुरू जिले के राजगढ़ के दत्तखेड़ा में हुआ था।यह गुरु गोरखनाथ के प्रमुख शिष्यों में आते है और तंत्र विद्या की शिक्षा इन्होंने गुरु गोरखनाथ से ही ली थी।गुग्गा जाहरवीर को नागों के देवता के रूप में पूजा जाता है।गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद से माता बाछल के घर गुग्गा का जन्म हुआ था।महमूद गजनवी के साथ युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ उस स्थल को गोगामेड़ी के नाम से पहचान मिली।गुग्गा जाहरवीर हिन्दू ,सिख व मुस्लिम सहित सभी संप्रदायों के पूजनीय देवता है।उन्होंने बताया कि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की नवमी को गुग्गा जाहरवीर का लोकदेवता के रूप में गुणगान किया जाता है और जगह जगह मेलों का आयोजन भी होता है।इस मंडली में तिलक धीमान,विजय प्रकाश, यशपाल,विद्यासागर ,रत्न लाल,ब्रह्मानंद,श्यामलाल,रत्नेश, सुरेंद्र पाली व हरिराम गुग्गजाहरवीर का गुणगान कर रहे है।