घुमारवीं- किराये की डिग्रियां लेकर खोले गए हैं कैमिस्ट स्टोर।
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घुमारवीं- किराये की डिग्रियां लेकर खोले गए हैं कैमिस्ट स्टोर।

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घुमारवीं- किराये की डिग्रियां लेकर खोले  गए हैं कैमिस्ट स्टोर। 

घुमारवीं

सूबे में  बेहतर स्वास्थ्य के नाम पर बड़ी बड़ी बातें की जाती है। लेकिन धरातल पर किस तरह से कुछ लोगों द्वारा बिना डिग्री प्राप्त किये जाली फार्मासिस्ट बनकर  आमजन के जीवन से खिलवाड़ कर रहे  है इसका सच सामने आ चुका है। डिग्री किसी और की और दवाई देने में लिए दुकान  कोई और चला रहा हो तो मरीजों को उपलब्ध होने वाली दवाइयां स्वास्थ्य के लिए कितनी लाभदायक होंगी इसका अंदाजा स्वयं ही लगाया जा सकता है। अब तो वह लोग मरीजो का इलाज कर रहे हैं जिनके पास डॉक्टर या फार्मासिस्ट नाम की कोई उपलब्धि ही नही है। किराये की डिग्री लेकर  दुकानें खुली हैं और पैसा कमाने के चक्कर में लोगों की जिंदगियां दाव पर लग रही हैं।


सूबे में कई क्षेत्रों में ऐसा है प्रेक्टिस के नाम पर लाइसेंस किराये पर  लिए गए हैं मानो वह लोग दवाई नही किराने की दुकान चला रहे हैं। 
 लाइसेंस ऐसे लोगों को दस से पंद्रह हजार रुपये महीने के  किराये पर दे दिए गए हैं जो लोग मरीजों की जांच करने और दवाई देने के लिए अधिकृत ही नही हैं। अब किराये की डिग्री से इलाज होगा दवाइयां मिलेंगी तो लोग कितने स्वास्थ्य होंगे यह तो विभाग ही बता सकता है। लेकिन यहां  घुमारवी में हो रहे इस कार्य से एक बड़ा सच सामने आया है। अब सरकार व विभाग कितना सचेत होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा परन्तु जल्द अगर इस धंधे को रोका नही गया तो आम जनता का वो भरोसा टूट जाएगा जिसमे दवाई देने वाले को भगवान का दर्जा दिया जाता है।

 यहां सवाल उठना लाजिमी है कि अगर दुकान का मालिक लाइसेंस होल्डर न होने के बाबजुत दुकान में दवाई देने मरीज देखने के लिए अधिकृत है तो बात समझ से परे है कि फिर क्यों दवाई बेचने के लिए सालों पढ़ाई करनी पड़ती है।। दवाई बेचने व मरीजों के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए सालों पढ़ाई करनी पड़ती है। पढ़ाई करने के बाद विभाग द्वारा लाइसेंस जारी किए जाते हैं। जिसके बाद केमिस्ट स्टोर खोलकर दवाइयां बेची जा सकती हैं। यही नही केमिस्ट संचालक कुछेक दवाइयां अपनी जानकारी से दे  सकते हैं और अधिकतर दवाइयां ऐसी हैं जिन्हें एमबीबीएस डॉक्टर द्वारा लिखे जाने के बाद ही केमिस्ट संचालक बेच सकता है। लेकिन केमिस्ट स्टोरों पर हर प्रकार की दवाइयां बेझिझक दे दी जाती हैं। और ऐसे में जो डिग्री होल्डर हैं ही नही उनके द्वारा दी जाने वाली दवाइयों से जान का जोखिम बन जाता है।




वहीं इस मामले को लेकर सहायक दवा नियंत्रक धर्मशाला आशीष रैना ने कहा कि बिना लाइसेंस होल्डर  कोई भी व्यक्ति  न दुकान खोल सकता है न ही दवाई बेच सकता है। अगर ऐसा है तो पता कर करवाही की जाएगी।
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