बिलासपुर में बढ़े लंपी रोग के मामले, घुमारवीं में टीके का स्टॉक खत्म
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बिलासपुर में बढ़े लंपी रोग के मामले, घुमारवीं में टीके का स्टॉक खत्म

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बिलासपुर में बढ़े लंपी रोग के मामले, घुमारवीं में टीके का स्टॉक खत्म

। जिले में हर दिन लंपी रोग के बढ़ रहे मामलों ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं, जिले के कई क्षेत्रों में विभाग के पास लंपी रोग के टीके का स्टॉक खत्म होने से पशुपालकों की जेब का बोझ बढ़ा दिया है। मंगलवार को घुमारवीं में इंजेक्शन का स्टॉक खत्म होने के बाद पशुपालकों को एक दिन में हजार रुपये तक के इंजेक्शन बाहर से खरीदने पड़े।

एक तरफ पशुपालन विभाग दावे कर रहा है कि वो लंपी रोग से निपटने के लिए सक्षम है। इसके लिए पूरी तैयारी भी हो चुकी है, लेकिन जैसे ही जिले में इस रोग के मामले बढने लगे तो दावे भी हवा होते दिखाई दे रहे हैं। जिले में पशुओं में फैल रहे लंपी संक्रमण को लेकर हालात गंभीर होते जा रहे हैं। जिले में अब तक 600 के करीब पशु इससे संक्रमित हो चुके है। इनमें से चार पशुओं की मौत हो चुकी है।

हैरानी की बात यह है कि लोगों ने लंपी रोग से ग्रसित पशुओं को सड़कों पर छोडना शुरू कर दिया है। ग्राम पंचायत औहर में लंपी वायरस से ग्रसित गाय को बेसहारा छोड़ दिया है। वहीं, बिलासुपर कॉलेज मैदान में भी इस तरह के पशुओं को छोड़ा गया है। इस पशु पर टैग लगा था। औहर में मामला सामने आने के बाद स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी पंचायत प्रधान व वेटरनरी फार्मासिस्ट को दी। मौके पर पंचायत प्रधान प्रेम लता ठाकुर व उप प्रधान रणजीत सिंह वेटरनरी टीम के साथ ग्रसित गाय के पास पहुंचे और टीका लगाकर सुरक्षित जगह पर बांध दिया, ताकि अन्य पशु उसके संपर्क में न आएं।

वेटरनरी फार्मासिस्ट विपिन नायक ने बताया कि इस वायरस से ग्रसित गाय को पांच दिन तक ट्रीटमेंट दी जाएगी। इस बीमारी का असर पांच दिन ही रहता है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत औहर में सात पशु लंपी वायरस बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं।

औहर पंचायत की प्रधान प्रेमलता ठाकुर ने कहा कि लंपी रोग से ग्रसित पशुओं को छोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। इस बीमारी का इलाज वह अपने घर में भी करवा सकते हैं। लेकिन पश्ुाओं को ऐसे छोड़ने से अन्य पशुओं को भी इस बीमारी का फैलने का खतरा बढ़ गया है।

पशुपालन विभाग के चिकित्सक केएल शर्मा ने कहा कि घुमारवीं में लंपी रोग के टीके का स्टॉक खत्म हो गया है। बीमारी को देखते हुए पहले पांच सौ इंजेक्शन की डिमांड भेजी गई थी, लेकिन अब एकाएक मामले बढ़ने पर दो हजार की डिमांड और भेजी गई है। जब तक खेप नहीं पहुंचती, तब तक पशुपालकों को अपने खर्चे पर ही इंजेक्शन लाने होंगे।
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