आधुनिकता के युग मे पुरातन संस्कृति को संजोये रखें भराड़ी के हेमराज ठाकुर के बैलों की जोड़ी
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आधुनिकता के युग मे पुरातन संस्कृति को संजोये रखें भराड़ी के हेमराज ठाकुर के बैलों की जोड़ी

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आधुनिकता के युग मे पुरातन संस्कृति को संजोये रखें भराड़ी के हेमराज ठाकुर के बैलों की जोड़ी  

भराड़ी - रजनीश धीमान 

आज के युग में जहां आधुनिकता हर जगह अपने पैर पसार रही है ,वहीं कुछ लोग अभी भी पुरातन संस्कृति को संजो रखे है।उसी का उदाहरण उपतहसील भराड़ी से संबंध रखने वाले पूर्व पंचायत प्रधान हेमराज ठाकुर का जिक्र भी आता है।हेमराज ठाकुर पहले भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देकर सेवानिवृत्त हुए व उसके बाद जनसेवा से जुड़ने के लिए पंचायती राज में अपनी सेवाएं वार्ड सदस्य,उप प्रधान व प्रधान पद पर दी।

परतुं कृषि से बचपन से ही जुड़ाव के कारण पशु प्रेम वैसे का वैसा ही रहा।पूरे भराड़ी क्षेत्र में बैलों की जोड़ी पूरे क्षेत्र में मिशाल है।उन्होंने कहा कि बचपन से ही पशु प्रेम के चलते लगाव था ,भारतीय सेना में थे तब भी घर मे बैलों की जोड़ी थी व उस समय से लेकर आजतक कृषि कार्यों व शौक के रूप में बहुत सुंदर बैलों की जोड़ी रखी है व एक पारिवारिक सदस्य के रूप में उनका पालन पोषण स्वयं करता हूँ।

पिछले ग्यारह वर्षों से भराड़ी में होने वाले ग्रीष्मोत्सव में हेमराज ठाकुर के बैलों का ही पूजन किया जा रहा है क्योंकि आधुनिकता के युग मे कोई भी परिवार बैलों को नहीं रखना चाहता क्योंकि आधुनिक कृषि यंत्रों के चलते सभी कृषि कार्यों में यंत्रों का ही प्रयोग करते है जिसके चलते बैलों का प्रचलन कृषि के लिए कम हो गया है व कुछ एक ही प्रगतिशील की किसान है जो पुरातन कृषि यंत्रों व बैलों को उपयोग में लाते है।
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