#HP : दुनिया को अलविदा कह कईयों को जिंदगी की सौगात दे गया 18 साल का ‘विशाल’
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#HP : दुनिया को अलविदा कह कईयों को जिंदगी की सौगात दे गया 18 साल का ‘विशाल’

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#HP : दुनिया को अलविदा कह कईयों को जिंदगी की सौगात दे गया 18 साल का ‘विशाल’

कांगडा, 12 मार्च : दुनिया में सबसे बड़ा दान जीवनदान माना जाता है। किसी भी तरीके से अगर किसी को जीवन दिया जा सके तो उससे बड़ा काम कुछ नहीं हो सकता। साथ ही ध्यान देने वाली बात ये है कि किसी मृत व्यक्ति भी ब्रेन डेड घोषित होने के बाद अपने अंग दान करके दूसरों को  नए जीवन की सौगात दे सकता है है। ऐसा ही कुछ कांगड़ा जिले के टांडा मेडिकल कॉलेज में हुआ। 

हिमाचल के इतिहास में पहली बार कैडेवरिक ऑर्गन डोनेशन हुआ। इस इतिहास का गवाह टांडा मेडिकल कॉलेज बना जहां रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी की ओर से ऑर्गन रिट्रीवल हुआ। कांगड़ा जिले का रहने वाला 18 वर्षीय विशाल 10 मार्च को सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुआ। गंभीर अवस्था में उसे टांडा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। हेड इंजरी होने के कारण मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी।

परिजनों ने उसे लुधियाना स्थित निजी अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए शिफ्ट करवा दिया। वहां पर मरीज को डॉक्टरों की टीम ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया। मरीज के जीवित ना रहने की निराशा के कारण परिजन उसे वापस टांडा मेडिकल कॉलेज ले आए। अस्पताल में मरीज आईसीयू में दाखिल रहा। आगामी जांच में अस्पताल की विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने उसके ब्रेन डेड होने की पुष्टि की। रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर राकेश चौहान सहित अन्य डॉक्टरों ने परिजनों को अंगदान के महत्व के बारे में बताया। हिम्मत दिखाते हुए मरीज के पिता व अन्य अंगदान करने के लिए राजी हुए।

ओर्गन के मैच के लिए ब्लड के सैंपल फ्लाइट के माध्यम से दोपहर करीब 12.50 बजे धर्मशाला से पीजीआई चंडीगढ़ भेजे गए। उन्होंने बताया कि इसी बीच अंग रिट्रीव करने के लिए पीजीआई चंडीगढ़ से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम टांडा अस्पताल पहुंची पहुंची। शनिवार दोपहर बाद करीब 3:00 बजे रिट्रीवर प्रक्रिया शुरू हुई जोकि करीब 2 से ढाई घंटे चली । इस दौरान मरीज के शरीर से दो किडनी और 2 कॉर्निया निकाले गए।

ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से कुछ ही घंटों के भीतर किडनी से भरे कंटेनर को वाहन के जरिए  पीजीआई पहुंचाया गया। डॉ राकेश ने बताया कि परिजनों की सहमति के बिना अंगदान का यह महान दान संभव ना हो पाता। परिजनों ने समाज के लिए मिसाल कायम करते हुए एक उदाहरण पेश किया है। उन्होंने बताया कि देशभर में लाखों मरीज अंग न मिलने के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं, लेकिन इस युवक के जैसे महादानी ऐसे मरीजों के लिए वरदान साबित होते हैं।
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