संसार छोड़ने से पहले 4 के जीवन में खुशियां दे गई बस हादसे की घायल “नैना ठाकुर”
मंडी, 10 मार्च : मासूम बच्चा जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा हो, डॉक्टर आकर बोले, कि बचने की कोई उम्मीद नहीं है। आप अंगदान करके इसे पूरी तरह मौत के आगोश में सुला दीजिए, तो आप क्या करेंगे? शायद ये सुनकर आप होश में न रहें या फिर आप अपना आपा खो दे।
लेकिन मंडी जनपद के धर्मपुर उपमंडल की ग्राम पंचायत लौंगनी के स्याठी गांव के परिवार ने मासूम को मौत के आगोश में सुलाकर चार लोगों की जिंदगी में उजाला कर दिया। 11 वर्षीय नैना ठाकुर के पिता मनोज कुमार आयुर्वेद विभाग में फार्मासिस्ट के पद पर कुल्लू में कार्यरत हैं। इनकी तीन बेटियां हैं, जिनमें नैना सबसे बड़ी थी।
3 मार्च को सरकाघाट उपमंडल के घीड़ गांव के समीप एचआरटीसी (HRTC) की बस का एक्सीडेंट हुआ था, नैना भी बस में सवार थी। वो छोटी बहन और मामा के साथ कुल्लू से वापिस घर आ रही थी। दुर्घटना में नैना के सिर पर गहरी चोट लगी थी। छोटी बहन की टांग में गंभीर चोट आई थी। मेडिकल कॉलेज नेरचौक में उपचार के बाद उसे पीजीआई (PGI) रैफर कर दिया गया था, जहां पर डॉक्टरों ने उसका ब्रेन डेड (Brain Dead) घोषित कर दिया गया था, उसे लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा था।
डॉक्टरों ने दी अंगदान की सलाह, परिवार ने दुखी मन से स्वीकारा
पीजीआई के डॉक्टरों ने परिजनों को अंगदान कर दूसरों को नई जिंदगी देने की बात कही है। नैना के पिता मनोज कुमार और दादा जगदीश चंद ठाकुर ने बताया कि बेटी के अंगदान का फैसला मुश्किल था, लेकिन नैना के दयालु स्वभाव ने ही उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि नैना दूसरों के प्रति बहुत ज्यादा दयालु थी। इसी कारण परिजनों ने उसके अंगदान का निर्णय लिया। शायद इसी से नैना की आत्मा को शांति मिलेगी। 8 मार्च की रात को नैना का पार्थिव शरीर पैतृक गांव लाया गया, 9 मार्च को पूरे रीति रिवाजों के साथ शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
दो को मिली किडनियां तो दो को मिली आंखों की रोशनी
परिजनों की मंजूरी के बाद पीजीआई के डॉक्टरों ने बॉडी से अंग निकालने का काम शुरू किया। नैना की दोनों किडनियां (Kidney) दो मरीजों को लगाई गई। यह दोनों मरीज डायलिसिस पर थे। इसी तरह दो कॉर्निया दो मरीजों को लगाए गए। ऐसे में वह अब नैना की आंखों से दुनिया को देख पाएगें।
पीजीआई द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि कुछ दिन पहले भी लुधियाना के 20 साल के यश पांडे के ब्रेन डेड होने पर परिवार ने ऐसा ही हौसला दिखाया था। उसका दिल, किडनी, पैंक्रियाज और कॉर्निया दान किया गया था। यश भी एक गंभीर सड़क हादसे (Road Accident) का शिकार हुआ था।