दोहरे मापदंडों पर काम कर रही है नगर परिषद : सुभाष
पारदर्शिता से नही की जा रही है टेंडर प्रक्रिया
अमीर व गरीब के लिये अलग अलग नियम अपना रही नगर परिषद
व्यापारिक संस्थान को घर मे बदलने की अनुमति कैसे दे सकती है नगर परिषद
घुमारवीं । रजनीश धीमान
नगर परिषद घुमारवीं दोहरे मापदंडों पर काम कर रही है जिसमें अमीर के लिए अलग नियम है और गरीब के लिए अलग नगर उत्थान समिति के अध्यक्ष सुभाष शर्मा ने नगर परिषद घुमारवीं पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले एक वर्ष से घुमारवीं की सब्जी मंडी के ऊपर मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार नगर परिषद घुमारवीं से इस सवाल को पूछ रहा हूं कि सब्जी मंडी की एनओसी किसके कार्यकाल और किस आधार पर जारी की गई है लेकिन नगर परिषद का कोई भी पदाधिकारी पिछले एक साल से इस बात का जवाब नहीं दे पा रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण है कि आज नगर परिषद के पदाधिकारियों की मिलीभगत से सब कुछ हुआ है ।
उन्होंने कहा कि नगर परिषद घुमारवीं में लोगों की सुविधा के लिए बनाया गया सब्जी मंडी भवन जो कि एक व्यवसायिक परिसर था उसकी एनओसी किस आधार पर दे दी गई उसके दस्तावेज नगर परिषद क्यों नहीं दिखा रही है । सुभाष शर्मा ने नगर परिषद पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक व्यक्ति अपनी मालकियत भूमि पर मकान बनाता है उसके लिए नगर परिषद के अलग नियम व कानून होते हैं और सरकारी भूमि या भवन को एक व्यक्ति लीज पर लेता है उसके लिए अलग से नियम कानून बना दिए गए हैं उन्होंने कहा कि नगर परिषद ने सब्जी मंडी के हाउस टैक्स में भी नियमों को ताक पर रखकर उसके मापदंड अलग तरीके से निर्धारित किए हैं । अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सब्जी मंडी जैसे व्यवसायिक संस्थान को किस आधार पर घरेलू भवन में बदलाव करने की अनुमति दी गई है ।
सुभाष शर्मा ने बताया कि इससे पहले भी नगर परिषद ने एक हफ्ते का समय मांग कर जनता को भ्रमित करने की कोशिश की है जिसमें उन्होंने एक हफ्ते के अंदर सब्जी मंडी को भवन परिसर में बदलने के लिए जारी की गई एनओसी जैसे सभी दस्तावेजों की जांच करने की बात कही थी लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी आज तक नगर परिषद किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है ।
इसके अलावा सुभाष शर्मा ने नगर परिषद में विकास कार्यों के लिए की जाने वाली टेंडर प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए हैं उनका कहना है कि जब नगर परिषद ने यह बात मानी है की टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नहीं हो रही थी पर पिछले हफ्ते जारी होने वाले टेंडरों को रद्द कर दिया था तो उन्हें ईमानदारी के साथ जितने भी पिछले टेंडर जो पारदर्शी तरीके से जारी नहीं किए गए थे सब को कैंसिल करना चाहिए तथा नगर परिषद के अधिकारी पर भी कटाक्ष करते हुए इतने बड़े औधे पर बैठा हुआ एक व्यक्ति लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ बदसलूकी कैसे कर सकता है ।
कार्यकारी अधिकारी की इतनी बौखलाहट यह सब दिखाती है कि नगर परिषद के अंदर कुछ भी साफ सुथरा नहीं है । सुभाष शर्मा ने कहा कि अगर नगर परिषद नगर उत्थान समिति द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब 15 दिन के अंदर अंदर नगर उत्थान समिति न्यायालय का दरवाजा खटखट आएगी