बिलासपुर - बरसात के मौसम में डेंगू रोग की रोकथाम के प्रति रहें जागरूकबुखार होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जांच करवाएं- Kehloor news
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बिलासपुर - बरसात के मौसम में डेंगू रोग की रोकथाम के प्रति रहें जागरूकबुखार होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जांच करवाएं- Kehloor news

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बरसात के मौसम में डेंगू रोग की रोकथाम के प्रति रहें जागरूक
बुखार होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जांच करवाएं

डाॅ0 की सलाह के बगैर कोई भी दवा न लें             
 
बिलासपुर 26 जून -

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅ0 प्रकाश दरोच ने जानकारी देते हुए बताया कि डेंगू से बचने के लिए लोगो को जागरूक रहने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि वर्षा के मौसम में यह रोग अधिक होता हैं। डेंगू रोग के बचाव व रोकथाम के लिए पूर्व में ही सर्तक होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि डेंगू के रोग की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा खंड स्तर तक फौगिंग करवाई जा रही हैं।

उन्होंने बताया कि डेंगू अधिकतर बरसात के महीनों जुलाई, अगस्त व सितम्बर में होने वाला रोग है। यह चार प्रकार के विषाणुओं से एडीस नामक मादा मच्छर के काटने पर फैलता है। एडीस मादा मच्छर डेंगू से ग्रसित व्यक्ति को काट कर 8 से 10 दिनों में खुद संक्रमित हो जाती है, जब वह स्वस्थ व्यक्ति को काटती है तो एक किस्म के विषाणू के संक्रमण से उसे 5-6 दिन में रोग के लक्षण व्यक्ति का चेहरा लाल, उच्च बुखार, सिर, मांसपेशी तथा जोड़ दर्द, आंखो को हिलाने डुलाने में दर्द, चेहरे, गले तथा छाती पर लाल चकत्ते, मितली व उल्टी आने शुरू हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे लक्षण दिखने पर शीघ्र डाक्टर से सम्पर्क करें। उन्होंने बताया कि 5 से 7 दिन में सामान्य उपचार से रोगी ठीक हो जाता है।


उन्होंने बताया कि डेंगू के एक से अधिक विषाणुओं के संक्रमण से अति तीव्र किस्म का रक्तóावी डेंगू बुखार हो जाता है जिसमें रोगी के नाक, मसूड़ों और योनि से रक्तस्राव और काले रंग का मल और लाल मूत्र आने के लक्षण प्रकट होते है, ऐसे में रोगी को तुरन्त नजदीकी अस्पताल में दाखिल करवाने की जरूरत होती है अन्यथा यह स्थिति घातक हो जाती है।


उन्होंने बताया कि डेंगू रोग से बचाव व रोकथाम के लिए पानी की टंकियों पर ढ़क्कन फिट करके लगाएं। पानी की टंकी के हवा निकासी पाइप पर जाली लगाएं। पक्षियों को पानी पिलाने वाले वर्तन को प्रतिदिन साफ कर दोबारा पानी भरें। गमलों, मनी प्लांट आदि के पौधों का पानी सप्ताह में एक बार अवश्य बदलें। खुले में पडे पुराने बर्तनों, टायरों, टयूबों आदि में पानी न भरनें दें उनको सही जगह रखें। कुलरों को सप्ताह में दोबारा पानी भरने से पहले इन्हें अच्छी तरह पोंछ व सूखा कर ही पानी डालें। दिन के समय मच्छरों से काटे जाने से बचाव के लिए पूरे बाजू वाले कपड़े पहनें। दिन को घरों में माॅरटीन आदि का प्रयोग करे। कीटनाशी से उपचारित मच्छरदानी, मच्छर भगाने वाली क्रीम का प्रयोग करें, दरवाजे व खिड़की पर जाली का प्रयोग करें। छोटे गढों को मिट्टी से भर कर, बड़े गढों में खड़े पानी में मिट्टी का तेल या प्रयोग किए गए मूवआयल की बूंदे डाल कर या मच्छर द्वारा अण्डे देने के स्थानों पर लार्वा भक्षक गंम्बूजिया मच्छली डाल कर, मच्छर के लारवा पैदा होने पर रोक लगाई जा सकती है।


उन्होंने बताया कि प्रयोगशाला में रक्त की जांच से रोग का पता लगाया जाता है। डेंगू का कोई विशेष उपचार नहीं है, रोगी को लक्षण के आधार पर दवा की जरूरत होती है। शरीर के तापमान को कम करने के लिए पैरासिटामोल का प्रयोग करें। दर्द निवारक दवाई का सेवन कदापि न करें, डाॅ0 की सलाह के बगैर कोई भी दवा न लें। किसी प्रकार का बुखार होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जांच करवाऐं।                     
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