बिलासपुर - 18 की उम्र में पढ़ाई के साथ परिवार की गाड़ी खींच रही शैलजा -Kehloor News
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बिलासपुर - 18 की उम्र में पढ़ाई के साथ परिवार की गाड़ी खींच रही शैलजा -Kehloor News

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बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं। कई बार यह बेटियां अपने संघर्ष की कहानी लिखकर नया इतिहास रचती हैं। ऐसी ही एक बेटी है शैलजा। उम्र अभी 18 पर मजबूर पिता को सहारा देने के लिए दूध बेचने जैसे मुश्किल काम को चुन लिया। सुबह 4 बजे उठकर 60 लीटर दूध बेचने वाली इस लड़की की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। 18 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई जारी रखने के साथ शैलजा अपने परिवार की गाड़ी को खींच रही है

शैलजा शर्मा जिला चंबा की मूल निवासी है और बिलासपुर में कई सालों से किराये के मकान में परिवार के साथ रहती है। परिवार खुश था, सपने बड़े थे। अपने सपनों को पूरा करने बिलासपुर आई शैलजा के पिता शहर में दूध बेचने का कार्य करते थे। अपनी गाड़ी में सब्जी बेचकर परिवार की जरूरतें पूरी करते थे। लेकिन एक साल पहले शैलजा के पिता बीमार हो गए और काम करने के काबिल नहीं रहे।


इससे पहले कि परिवार दो वक्त की रोटी के लिए तरसता, शैलजा ने अपने घर की जिम्म्मेदारी उठा ली। पिता जो काम करते थे, अब परिवार चलाने के लिए वह सभी काम शैलजा करती है। एक साल से परिवार को संभाल रही है। मौसम साफ हो या भारी बरसात फिर भी सुबह 4 बजे उठकर 120 रुपये कमाने के लिए खुद गाड़ी चलाकर 50 किलोमीटर का सफर तय करके रोजाना 60 लीटर दूध बेचने का काम करती है। शैलजा को दूध बेचने के लिए प्रति लीटर पर 2 रुपये मिलते हैं। इसके बाद सब्जी मंडी से सब्जी लाकर अपने पिता के साथ सब्जी बेचने में उनका हाथ बंटाती है। 

शैलजा इसी साल स्कूल की पढ़ाई पूरी करेगी। उसका एक छोटा भाई 7 साल का है। माता-पिता व छोटे भाई की देखभाल करके शैलजा इस छोटी सी उम्र में बेटे होने का फर्ज निभा रही है। शैलजा ने कहा कि वह आत्मनिर्भर बनना चाहती है। शैलजा ने कहा कि मुश्किल सबके सामने आती है। परंतु निर्भर आप पर करता है कि मुश्किलों से लड़ना है या फिर डरना है। चट्टान से भी ज्यादा मजबूत इरादों वाली यह लड़की कठिन परिस्थितियों में भी पूरी शिद्दत के साथ अपने पिता का सहारा बनने के लिए काम कर रही है।


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