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फोटो-राजेश धर्माणी |
सहारा योजना के सही ढंग से क्रियान्वित नहीं कर पाने से लोगों की पीड़ा कम होने के बजाए बढ़ी:-धर्माणी
घुमारवीं
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं पूर्व सीपीएस राजेश धर्माणी ने गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को राहत प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही सहारा योजना के क्रियान्वयन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इस योजना को सही ढंग से क्रियान्वित नहीं कर पाने से लोगों की पीड़ा कम होने के बजाए बढ़ रही है।
सरकार जगह-जगह डींगें हांककर इस योजना का श्रेय झटकने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, लेकिन धरातल की सच्चाई उसके दावों की पोल खोल रही है। आलम यह है कि सहारा योजना के तहत पात्र लोगों के आवेदन पिछले एक-डेढ़ वर्ष से लंबित पड़े हैं। इतना ही नहीं, कई लाभार्थियों को गत जनवरी माह के बाद इसका पैसा नहीं मिल पाया है। इस लिहाज से सरकार की सहारा योजना ने असहाय लोगों को एक तरह से बेसहारा कर दिया है।
राजेश धर्माणी ने कहा कि कैंसर, पैरालिसिस, ब्रेन ट्यूमर तथा रीढ़ की हड्डी में फ्रेक्चर जैसी गंभीर बीमारियों की वजह से कोई काम करने या चलने-फिरने में असमर्थ लोगों को राहत प्रदान करने के लिए सरकार ने सहारा योजना शुरू की है। इसके तहत प्रत्येक लाभार्थी को प्रतिमाह 3000 रुपये की राशि देने का प्रावधान किया गया है। गंभीर बीमारियों से ग्रसित ज्यादातर मरीज दवाई के साथ ही दो वक्त की रोटी के लिए इस राशि पर ही निर्भर करते हैं, लेकिन इस योजना पर एक तरह से अघोषित रोक लगा दी गई है। पिछले एक-डेढ़ साल से इस योजना के लिए पात्र लोगों के आवेदन सरकारी कार्यालयों में धूल फांक रहे हैं। आलम यह है कि पहले से इस योजना का लाभ उठा रहे कई मरीजों को भी पिछले जनवरी माह के बाद पैसा नहीं मिल पाया है।
राजेश धर्माणी ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से हर वर्ग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। कइयों का काम-धंधा पूरी तरह से चैपट हो चुका है, जबकि कइयों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। उनके सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। इन हालातों में सहारा योजना के लाभार्थियों की हालत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। आवेदन मंजूर न होने की वजह से सहारा योजना के कई हकदार दम तोड़ चुके हैं। पिछले 4-5 माह से पैसा न मिलने की वजह से बाकी लाभार्थियों के सामने भी इलाज और दो वक्त की रोटी की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। सहारा योजना को लेकर अपनी पीठ थपथपाने वाली सरकार ने इन जरूरतमंदों को पूरी तरह से बेसहारा करके उनके हाल पर छोड़ दिया है। इससे खुद को आम आदमी का हितैषी कहने वाली इस सरकार का असली चेहरा बेनकाब हो गया है।