Bilaspur: लाखों का सैलरी पैकेज छोड़ शुभम ठाकुर बने भारतीय थलसेना में लैफ्टिनैंट
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Bilaspur: लाखों का सैलरी पैकेज छोड़ शुभम ठाकुर बने भारतीय थलसेना में लैफ्टिनैंट

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Bilaspur: लाखों का सैलरी पैकेज छोड़ शुभम ठाकुर बने भारतीय थलसेना में लैफ्टिनैंट

जिला बिलासपुर की सरयून चलैहली पंचायत के जमथलीघाट गांव निवासी शुभम ठाकुर भारतीय थलसेना की 5/5 गोरखा राईफल्स में लैफ्टिनैंट बन गए हैं। इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून में हुई पासिंग आऊट परेड में शुभम ठाकुर को उनके पिता राजेश ठाकुर और माता रमीला कुमारी ने सितारे लगाए। गौरतलब है कि शुभम के पिता भी पूर्व सैनिक हैं।

 उन्होंने भारतीय सेना की प्रथम पैरा फोर्स कमांडो के रूप में 18 वर्ष अपनी सेवाएं दी हैं, वहीं शुभम एनआईटी हमीरपुर से बीटैक की डिग्री हासिल की है व इंजीनियर के रूप में जजी सैक्टर में नौकरी भी की है लेकिन फौज में जाने का सपना व पिता की प्रेरणा से इंजीनियर के रूप में अपना लाखों का सैलरी पैकेज छोड़ कर शुभम ने सीडीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर देश सेवा के लिए भारतीय सेना को चुना।
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