महाविद्यालय अवैध पेड़ कटान मामले में वन विभाग ने वसूल 42171 जुर्माना
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महाविद्यालय अवैध पेड़ कटान मामले में वन विभाग ने वसूल 42171 जुर्माना

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महाविद्यालय अवैध पेड़ कटान मामले में वन विभाग ने वसूल 42171 जुर्माना 
 
महाविद्यालय प्रबंधन की जगह निर्माण कार्य मे लगे ठेकेदार ने भरा जुर्माना 

कुन्दन रत्तन । घुमारवीं

राजकीय महाविद्यालय घुमारवीं के खेल मैदान निर्माण में हुए हरे पेड़ों के अवैध कटान पर वन विभाग ने डैमेज रिपोर्ट बनाने के बाद 42 हजार 171 रुपये का जुर्माना वसूल किया है। हैरानी की बात है कि इस महाविद्यालय में अवैध पेड़ कटान मामले में दूसरी बार जुर्माना लगाया गया है।

बताते चलें कि राजकीय महाविद्यालय घुमारवीं में कुछ दिनों पहले अवैध रूप से हरे पेड़ों का कटान किया गया था तथा इस मामले को दैनिक भास्कर द्वारा प्रमुखता से उठाया गया था जिसकी भनक लगते ही वन विभाग भी हरकत में आ गया था तथा वन विभाग के आर ओ ने पिछले कल मौके पर आकर उस जगह का निरीक्षण किया तथा पाया कि करीब 14 पेड़ों का अवैध रूप से कटान किया गया है। इसके अलावा कुछ और हरे पेड़ों की भी मिट्टी में दबे होने की आशंका जाहिर करते हुए कॉलेज प्रबंधन को 3 दिन के भीतर मिट्टी हटाकर वह दबाये गए पेड़ों को बाहर निकालने के आदेश दिए है।

जिसके बाद आज वन विभाग की तरफ से डैमेज रिपोर्ट तैयार की गई तथा 14 पेड़ों की एवज में यह जुर्माना वसूला गया। वन विभाग अधिकारी आर ओ देशराज संख्यान ने बताया कि वन विभाग की तरफ से सभी काटे गए पेड़ों का आकलन करने के बाद आज डीआर काटी गई ।.


वन अधिकारी के मुताबिक इस सारे अवैध कटान के लिए मैदान निर्माण के काम में लगे ठेकेदार ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए इस जुर्माने को भरने की हामी भरी है। जिसके बाद यह सारा जुर्माना निर्माण के काम में लगे ठेकेदार से वसूल किए गए। आर ओ देशराज ने बताया कि विभाग ने मैदान में मौजूद अन्य पेड़ों के लिए भी महाविद्यालय प्रबंधन को जल्द ही इनके लिए वन विभाग से अनुमति लेने के लिए आदेश जारी कर दिए गए हैं ।
महाविद्यालय घुमारवीं में यह कोई पहला मामला नहीं है क्योंकि तीन वर्ष पहले भी महाविद्यालय पर 56 पेड़ों को अवैध रूप से काटे जाने की एवज में 85 हजार 600 रुपये जुर्माना लग चुका है तब भी प्रधानचार्य रामकृष्ण ही थे जो अब है । बावजूद इसके महाविद्यालय परिसर में दूसरी बार इस प्रकार का मामला सामने आया है। लेकिन बार-बार ऐसे मामले में किसकी चूक नजर आती है जो पेड़ों को काटने के बाद ही विभागीय अधिकारियों को जानकारी मिलती है तथा किस की सांठगांठ के कारण यह अवैध कटान चलता है यह भी अपने आप में एक बड़ा जांच का विषय है।
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