एच0आई0वी0/एडस रोगियों को सरकार द्वारा 1500 रूपए मासिक आर्थिक सहायता की जा रही प्रदान-
बिलासपुर 25 जून-
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ0 प्रकाश दरोच ने जानकारी देते हुए बताया कि 1981 के दशक से शुरू होने वाली एडस बीमारी का आज भी कोई ईलाज नहीं है लेकिन जागरूकता से इस बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं के कारण 2010 से 2017 तक एडस के नए केसों में 27 प्रतिशत तथा मोतों में 56 प्रतिशत की कमी आई है। प्रदेश सरकार ने एडस उन्मूलन के लिए 2030 का लक्ष्य रखा है इसके लिए राज्य एडस नियन्ञण समिति द्वारा 47 आईसीटीसी केन्द्र एफआईसीटीसी केन्दों के माध्यम से सेवाए दीे जा रही है।
उन्होंने बताया कि एच0आई0वी0/एडस से प्रभावित माता-पिता के बच्चों को उम्र के अनुसार 300रू से 800 रू की आर्थिक सहायता 18 वर्ष तक दी जाती है इसके अतिरिक्त एच0आई0वी0/एडस के सभी रोगियों के लिए 1500 रूपए की मासिक आर्थिक सहायता सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि एच0आई0वी0/एडस मुख्यतः चार कारणों से होता है। संक्रमण के लिए सुरक्षात्मक कदम उठा कर घातक रोग से सुरक्षित रहने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बिलासपुर जिला में वर्तमान में 278 एच0आई0वी0/एडस के मरीज एआरटी ले रहें हैं जो मुफ्त दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि पति पत्नी में वफादारी, निरोध का सही प्रयोग, जो कि स्वास्थ्य केन्द्रों में मुफ्त मिलते हैं, टीका लगवाने के लिए नई सूई सीरिंज का प्रयोग, टैटू गुदवाने व नाक कान छेदने के लिए सुरक्षित नई सूई का प्रयोग, शेव करने के लिए नई ब्लेड का इस्तेमाल, जरूरत मन्द को स्वैच्छिक रक्त दाता द्वारा दान किया हुआ एच आई वी मुक्त रक्त ही चढ़ाने से एच0आई0वी0/एडस से बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि आईसीटीसी केन्द्र में गर्भवती की जांच पर एच आई वी का पता चलने पर उसे प्रथम प्रसव वेदना के समय तथा नवजात को जन्म के 72 घंटे के अन्दर नेविरापिन दवा की खुराक देने से बच्चे मेें एच आई वी होने का खतरा 4 प्रतिशत रह जाता है। उन्होंने बताया कि एच0आई0वी0/एडस की जांच व दवा दोनों आईसीटीसी केन्द्र में मुफ्त होती हैं।.
उन्होंने बताया कि एडस लाइलाज रोग है पर अब रोगी को एंटिरिटरोवाइरल ट्रिटमैंट(एआरटी) देकर उसकी उमर बढ जाती है, जबकि यौन संचारित रोगों का उपचार शत प्रतिशत संम्भव है। समय पर इन रोगों का उपचार न होने पर व्यक्ति को एच आई वी संक्रमण का खतरा 10 गुणा अधिक हो जाता है। मर्दों में धात चलना, रूक-रूक कर पेशाब आना, जनन अंग पर पीडा़ रहित घाव होना, पेशाब करती बार दर्द व जलन होना, अण्ड कोष में सूजन आना, कुल्हों में गिल्टयां होना तथा औरतों में जनन अंग से बदबूदार-रंगदार पानी चलना व पीड़ा रहित घाव होना, निचले पेट मे सूजन तथा पीड़ा होना, कुल्हों में गिल्टयां होना यौन संचारित रोगों के मुख्य लक्षण हैं।
उन्होंने बताया कि अज्ञानतावश एच आई वी/एडस से व्यक्तियों से भेद भाव न करें रोगी से हाथ मिलाने, साथ खाने-पीने, उठने बैठने, साथ पढ़ने, खेलने व गले मिलने से एडस नहीं होता, बल्कि सही सेवा व व्यवहार से रोगी का जीवन जीने में आसान व दीर्घ हो जाता है।
उन्होंने बताया कि एडस प्रभावित व्यक्ति को इन्दिरा गान्धी चिकित्सा महाविद्यालय शिमला, चिकित्साल्य हमीरपुर,चिकित्सा महाविद्यालय टांडा और ए आर टी सैंटर बिलासपुर व अन्य सभी जिलों में उपचार हेतु दवा मुफ्त उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि रोगी व्यक्ति के साथ एक व्यक्ति के आने जाने का किराया भी दिया जाता है।